देवनारायण भगवान मंदिर जोधपुरिया
यह मंदिर दिखने में बहुत सुंदर है और मंदिर शानदार शिल्प कौशल का एक शानदार उदाहरण है और मंदिर की मुख्य मूर्ति भगवान देवनारायण की प्रतिमा है जो शिशु के रूप में साधु माता गुर्जरी की गोद में आराम कर रहे और इसके साथ साथ भगवान देवनारायण की भी मूर्ति है जिसमे वह शेरनी का दूध पी रहे हैं। भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर का दौरा करते है और इस मंदिर की शांति और शांति पृष्ठभूमि का आनंद लेते हैं जो एक पिकनिक स्थान भी है।
यहां पूर्व काल में संवत 1635 का बना हुआ एक गुर्जर समाज का विशाल देव मंदिर था, जो मासी बांध में बाढ़ आने के कारण तबाह हो गया था | वर्तमान मंदिर का शिलान्यास मिट्टी माह में सुधि पांच सोमवार संवत 2037 तदनुसार 9 फरवरी 1981 को श्री श्री 108 बाबा माधव दास जी स्वामी दादूपंथी स्थानक गुरु दयालपुरा मालपुरा जिला टोंक राजस्थान के कर कमलों से संपन्न हुआ | पुणे देव प्रतिष्ठा मिट्टी महासदी साथ गुरुवार संवत 2083 तदनुसार तारीख 5 फरवरी 1987 को महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ हजारों गुर्जर बंधुओं की उपस्थिति में सेवा करता भोपा जी के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ |
लग्न एवं सहयोग से मंदिर के नव निर्माण में लगभग 5100000 की राशि खर्च हुई जो, अखिल भारतीय गुर्जर समाज के सहयोग से एकत्रित हुए निर्माण कार्य पूजनीय श्री लीला राम जी पोसवाल ग्राम घासीपुरा तहसील मालपुरा की कार सेवा से संपन्न एवं संभव हुआ | साथ ही इस मंदिर में गुर्जर समाज के आसपास के गांवों के सब जनों द्वारा अथक श्रम दान भी किया गया इस पावन कार्य में सद्गुरु स्वामी श्री श्री 108 श्री माधव दास जी स्वामी की प्रेरणा उनकी मुख्य सकती थी | लेकिन भगवान ने एक और देवदूत को देव धाम जोधपुरिया भेजा, श्री श्री पोसवाल गांव घासीपुरा श्री विला बाबा के सानिध्य में नव निर्माण समिति का गठन हुआ |
भगवान ने और गांव वालों चंदा एकत्रित करने के लिए टोलियां बनाई एक गुर्जर समाज के प्रत्येक गांव घर घर से चंदे की व्यवस्था की गई मंदिर निर्माण समिति ने संपूर्ण टॉक युवराज आसपास के जिलों से चंदा इकट्ठा किया समाज के प्रत्येक घर में जन धन मन का समर्पण हुआ | इस विशाल भव्य मंदिर का निर्माण संपन्न हुआ।|
यहाँ ये मानता है कि टोंक जिले की निवाई तहसील के जोधपुरिया के निकट ग्राम चौराहा में मनोहर जी रंगल के पुत्र चतरा जी रंगल कभी विचरण करते हुए वर्तमान मंदिर स्थल के पास पहुंचे तो आवाज आई अरे “चतरा सुनो’’ चतरा जी घबरा गए और बोले “आप कौन हो?’’ तब भगवान बोले “में देवनारायण भगवान हूं| और तू घबरा मत|’’ तब चतरा जी बोले कि “आप भगवान देवनारायण हो तो मुझे साक्षात दर्शन दो” तब सुदी नवमी वार शुक्रवार संवत 1715 को भगवान ने चतरा जी को साक्षात दर्शन दिए और इस स्थान पर देव मंदिर निर्माण के लिए कहा चतरा बोले जी “ भगवान ! मेरे तो खाने के लाले पड़ रहे हैं मैं आपका मंदिर कैसे बनवा लूंगा?” तब भगवान बोले “जा! तेरे को उस स्थान पर सोने का एक टका रोजाना मिल जाएगा मेरा मंदिर बनवाना और देसी घी की हमेशा अखंड ज्योति जलाना और यह रहस्य किसी को मत बताना!
यह कहकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए तभी से चतरा योजना भगवान की सेवा करता और मंदिर निर्माण से जुट गया | कार्तिक सुदी नवमी वार शुक्रवार विक्रम संवत 1735 में तात्कालिक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ | मंदिर में भगवान श्री देवनारायण और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई| तब से ही घी की अखंड ज्योति जल रही है और चतरा जी भोपा के वंशज रंगल गोत्र के गुज्जर की भगवान की सेवा कर रहे हैं | विक्रम संवत 2008 में राजस्थान सरकार ने यहां पर मान जी और बाड़ी और खेरा क्या सी नदियों को रोककर विशाल बांध का निर्माण करवाया| तब संपूर्ण मंदिर जलमग्न हो गया लेकिन भगवान की चमत्कारी की लीला में अखंड ज्योति नहीं बुझी तब आस-पास के गांव वालों ने मिलकर मंदिर का यहां से उचित स्थान पर बनवाने की पाती मांगी लेकिन भगवान ने पाती नहीं दी काफी दिनों तक पुजारी पानी के अंदर ही सेवा करता रहा | सन 1980 में ग्राम जोधपुरिया और आसपास के गांव के लोग पूर्ण एक बार और एकत्रित हुए तथा नया मंदिर बनवाने की पाती मांगी भगवान ने दोबारा इसी स्थान पर नवमी मंदिर बनवाने की पातीदे दी समाज के लोग आश्चर्यचकित रह गए |
“आखिरी स्थान पर मंदिर का निर्माण कैसे होगा? इतना पैसा कहां से आएगा?” लेकिन भगवान की मर्जी यही थी कि आसपास के गांव वालों ने श्री श्री 1008 श्री माधव दास महाराज कि अध्यादेश में मंदिर निर्माता समिति का गठन किया सन् 1981 में मंदिर की नींव रखी गई लेकिन दुर्भाग्य से कुछ समय बाद महाराज श्रमिक निधन हो गया जिससे मंदिर निर्माण कार्य बाधित हुआ | लेकिन भगवान ने एक और देवदूत को देव धाम जोधपुरिया भेजा श्री श्री पोसवाल गांव घासीपुरा श्री विला बाबा के सानिध्य में नव निर्माण समिति का गठन हुआ | भगवान ने और गांव वालों चंदा एकत्रित करने के लिए टोलियां बनाई एक गुर्जर समाज के प्रत्येक गांव घर घर से चंदे की व्यवस्था की गई| मंदिर निर्माण समिति ने संपूर्ण टॉक युवराज आसपास के जिलों से चंदा इकट्ठा किया | समाज के प्रत्येक घर में धन धन मन का समर्पण हुआ |